71ST BPSC PRELIMS
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भारतीय संविधान की प्रस्तावना और मूल संरचना | BPSC Prelims | भारतीय राजव्यवस्था

भूमिका (Introduction)

नमस्कार दोस्तों! 🙏
आज हम भारतीय संविधान के प्रस्तावना (Preamble) और मूल संरचना (Basic Structure) पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
BPSC Prelims और अन्य सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है।

इस वीडियो में हम जानेंगे:
✅ प्रस्तावना की परिभाषा और महत्व
✅ प्रस्तावना के प्रमुख तत्व
✅ मूल संरचना सिद्धांत क्या है?
✅ सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय

तो आइए शुरुआत करते हैं! 🚀


🔹 1️⃣ प्रस्तावना (Preamble) क्या है?

📜 संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा (Soul of the Constitution) होती है।
📌 यह संविधान की उद्देशिका (Objective) को बताती है और भारत के संविधान की मूल भावना को व्यक्त करती है।
📌 प्रस्तावना संविधान के प्रारूप समिति (Drafting Committee) द्वारा लिखी गई थी और इसे संविधान के लागू होने के दिन (26 जनवरी 1950) को अपनाया गया।


🔹 2️⃣ प्रस्तावना का पाठ (Text of the Preamble)

“हम भारत के लोग, भारत को एक
🔹 संप्रभु (Sovereign),
🔹 समाजवादी (Socialist),
🔹 धर्मनिरपेक्ष (Secular),
🔹 लोकतांत्रिक गणराज्य (Democratic Republic) बनाने के लिए…**

न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

📌 मूल प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द नहीं थे।
📌 इन्हें 42वें संविधान संशोधन (1976) में जोड़ा गया।


🔹 3️⃣ प्रस्तावना के प्रमुख तत्व (Key Features of Preamble)

(1) संप्रभुता (Sovereignty)

📌 भारत पूर्ण रूप से स्वतंत्र राष्ट्र है, किसी अन्य देश का अधीनस्थ नहीं है।

(2) समाजवाद (Socialism) – 42वां संशोधन (1976)

📌 आर्थिक और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना।

(3) धर्मनिरपेक्षता (Secularism) – 42वां संशोधन (1976)

📌 भारत का कोई राज्य धर्म नहीं होगा।
📌 सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है।

(4) लोकतंत्र (Democracy)

📌 जनता के लिए, जनता द्वारा, जनता का शासन।
📌 भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र (Representative Democracy) लागू है।

(5) गणराज्य (Republic)

📌 भारत में कोई राजा या महाराजा नहीं होगा।
📌 राष्ट्रपति चुने जाते हैं, न कि कोई वंशानुगत शासक।

(6) न्याय (Justice)

📌 तीन प्रकार का न्याय – सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक

(7) स्वतंत्रता (Liberty)

📌 विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता।

(8) समानता (Equality)

📌 सभी नागरिकों को समान अवसर और समान अधिकार।

(9) बंधुत्व (Fraternity)

📌 समाज में भाईचारा और अखंडता बनाए रखना।


🔹 4️⃣ क्या प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है?

📌 केशवानंद भारती केस (1973) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है।
📌 बेरुबारी केस (1960) – पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का भाग नहीं है, लेकिन बाद में इसे बदला गया।


🔹 5️⃣ भारतीय संविधान की मूल संरचना (Basic Structure of Indian Constitution)

⚖️ ‘मूल संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) संविधान की उन विशेषताओं को बताता है, जिन्हें बदला नहीं जा सकता।

📌 मूल संरचना का विचार पहली बार केशवानंद भारती केस (1973) में दिया गया था।
📌 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन संविधान की मूल संरचना को नहीं बदल सकती।


🔹 6️⃣ संविधान की मूल संरचना में क्या-क्या शामिल है?

संविधान की संप्रभुता और अखंडता
लोकतांत्रिक और संसदीय व्यवस्था
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review)
संघीय संरचना (Federal Structure)
न्याय, स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांत
चुनाव की स्वतंत्रता

📌 इन तत्वों को बदला नहीं जा सकता, सिर्फ सुधारा जा सकता है।


🔹 7️⃣ मूल संरचना सिद्धांत से जुड़े महत्वपूर्ण मामले (Important Supreme Court Cases)

1️⃣ शंकर प्रसाद केस (1951) & सज्जन सिंह केस (1965)

📌 कोर्ट ने कहा कि संसद को संविधान में बदलाव का पूरा अधिकार है।

2️⃣ केशवानंद भारती केस (1973) – सबसे महत्वपूर्ण!

📌 सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार “मूल संरचना सिद्धांत” को स्वीकार किया।
📌 संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन मूल संरचना को नहीं बदल सकती।

3️⃣ मिनर्वा मिल्स केस (1980)

📌 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
📌 संसद के पास असीमित संशोधन शक्ति नहीं है।

4️⃣ गोलकनाथ केस (1967)

📌 कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता।


📌 BPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न:

1️⃣ भारतीय संविधान की प्रस्तावना को किसने लिखा?
2️⃣ संविधान में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द कब जोड़े गए?
3️⃣ “संविधान की आत्मा” किसे कहा जाता है?
4️⃣ मूल संरचना सिद्धांत पहली बार किस केस में आया?
5️⃣ संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन किसे नहीं बदल सकती?


🎯 संक्षेप में (Summary)

प्रस्तावना संविधान की आत्मा है।
42वें संशोधन (1976) में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, अखंडता शब्द जोड़े गए।
केशवानंद भारती केस (1973) ने “मूल संरचना सिद्धांत” दिया।
मौलिक अधिकार, लोकतंत्र, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की संप्रभुता – इनमें बदलाव नहीं हो सकता।


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अगले वीडियो में मिलते हैं, तब तक जय हिंद! 🇮🇳


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