मालदीव क्या भारत के लिए इतना अहम है कि उसके आक्रामक बयान को भी बर्दाश्त करना समझदारी है? INDIA MALDIVES DISPUTE

मालदीव भारत

  • अगर क्षेत्रफल के मामले में तुलना करें तो दिल्ली मालदीव से क़रीब पाँच गुनी बड़ी है.
  • मालदीव छोटे-छोटे क़रीब 1200 द्वीपों का समूह है. मालदीव की कुल आबादी 5.21 लाख है.
  • कहा जाता है कि मालदीव भौगोलिक रूप से दुनिया का सबसे बिखरा हुआ देश है.
  • मालदीव के भीतर भी एक द्वीप से दूसरे द्वीप में पानी के जहाज से पहुँचा जा सकता है.

मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने राजधानी माले में कहा कि मालदीव भले छोटा है लेकिन इससे किसी भी देश को धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है.

  • मालदीव ने भारत को 15 मार्च तक अपने सैनिकों को वापस बुलाने की डेडलाइन दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत मालदीव के ग़ुस्से को इतनी चुप्पी से क्यों सुन रहा है?

मालदीव क्या भारत के लिए इतना अहम है कि उसके आक्रामक बयान को भी बर्दाश्त करना समझदारी है?

  • मालदीव जहाँ स्थित है, वही उसे ख़ास बनाता है. हिन्द महासागर के बड़े समुद्री रास्तों के पास मालदीव स्थित है.
  • हिन्द महासागर में इन्हीं रास्तों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है. खाड़ी के देशों से भारत में ऊर्जा की आपूर्ति इसी रास्ते से होती है. ऐसे में भारत का मालदीव से संबंध ख़राब होना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं माना जा रहा है.
  • कहा जा रहा है कि अभी मालदीव का विपक्ष भारत के साथ है लेकिन भारत के आक्रामक बयान से वहाँ की आम जनता नाराज़ होगी तो विपक्ष को भी साधना आसान नहीं होगा.
  • ऐसे में चीन की मौजूदगी वहाँ की सत्ता और विपक्ष दोनों में बढ़ेगी.
  • मालदीव मुस्लिम बहुल देश है. भारत में सांप्रदायिक विवादों का असर भी वहाँ होता है. नुपूर शर्मा मामले में भी मालदीव से प्रतिक्रिया आई थी. इंटरनेट के ज़माने में घरेलू राजनीति का विवाद सीमाओं से परे होता है.

हिन्द महासागर में बढ़ती होड़

  • हाल के दशकों में हिन्द महासागर में आर्थिक और सैन्य गतिविधियों को लेकर होड़ बढ़ी है.
  • हिन्द महासागर में चीन अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है. ऐसे में मालदीव उसके साथ आता है तो उसे पैर जमाने में और मदद मिलेगी.
  • कहा जा रहा है कि मालदीव की मौजूदा मुइज़्ज़ू सरकार खुलकर चीन के साथ है. मुइज़्ज़ू ने जब चुनाव जीता तो news हेडलाइन बनी कि मालदीव में चीन परस्त उम्मीदवार को मिली जीत.
  • जुलाई 2015 में मालदीव ने अपना संविधान संशोधन किया था. इसके तहत विदेशी स्वामित्व वाले लैंड लेने की अनुमति दी गई थी. इसके बाद अटकलें तेज़ हो गई थीं कि चीन मालदीव में रणनीतिक ठिकाने विकसित करेगा.

India says:-,

”राजनीति तो राजनीति है. मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि हर देश, हर दिन, हर व्यक्ति हमारा समर्थन करे या हमसे सहमत हो. हम इसकी बेहतर कोशिश करते हैं और पिछले 10 सालों में कामयाबी भी मिली है. हमने कई मामलों में मज़बूत संपर्क स्थापित किए हैं. राजनीति में उठापटक की स्थिति रहती है लेकिन भारत के बारे में वहां के आम लोगों की राय अच्छी है और उन्हें भारत से अच्छे संबंधों की अहमियत पता है.”

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू से भारत के पूर्व राजनयिक राकेश सूद ने कहा,

  • ”मुइज़्ज़ू तो अपनी राजनीति कर रहे हैं और इससे फ़ायदा भी उठाना चाहेंगे. वो जानबूझकर उकसाने वाली बयानबाज़ी कर रहे हैं लेकिन जैसे को तैसा जवाब देने की स्थिति भारत के लिए अच्छी नहीं है. भारत के लिए सही ये रहेगा कि मालदीव को समाजिक आर्थिक नज़रिए से भारत की अहमियत का अहसास करवाया जाए.”

मुइज़्ज़ू का मानना है कि इब्राहिम सोलिह की सरकार में मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्रा से समझौता किया गया.

  • इब्राहिम सोलिह की सरकार को भारत समर्थक कहा जाता था. मुइज़्ज़ू मालदीव में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी के ख़िलाफ़ बोलते रहे हैं और अब राष्ट्रपति बनने के बाद हटाने की डेडलाइन भी दे चुके हैं. चुनावी अभियान में उन्होंने इंडिया आउट कैंपेन भी चलाया था.
  • मुइज़्ज़ू जिस प्रोग्रेसिव अलायंस के नेता हैं, उसका मानना है कि इब्राहिम सोलिह की सरकार में भारत के साथ हुए तीन रक्षा समझौते मालदीव की संप्रभुता के ख़िलाफ़ थे

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