दल-बदल विरोधी कानून:

दल-बदल विरोधी कानून:

  • परिचय:
    • दल-बदल विरोधी कानून एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने पर संसद सदस्यों (सांसदों)/विधानसभा सदस्यों (विधायकों) को दंडित करता है।
    • विधायकों को दल बदलने से हतोत्साहित करके सरकारों में स्थिरता लाने के लिये संसद ने वर्ष 1985 में इसे संविधान की दसवीं अनुसूची के रूप में जोड़ा।
      • दसवीं अनुसूची – जिसे दल-बदल विरोधी अधिनियम के नाम से जाना जाता है, को 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था।
    • यह किसी अन्य राजनीतिक दल में दल-बदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता के प्रावधान निर्धारित करता है।
      • यह वर्ष 1967 के आम चुनावों के बाद पार्टी छोड़ने वाले विधायकों द्वारा कई राज्य सरकारों को गिराने की प्रतिक्रिया थी।
  • इसके तहत सांसद/विधायकों को दंडित नहीं किया जाता:
    • हालाँकि, यह सांसदों/विधायकों को दल-बदल के लिये दंड के बिना किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने (विलय) की अनुमति देता है। साथ ही दल-बदल करने वाले सांसदों का समर्थन या उन्हें स्वीकार करने के लिये राजनीतिक दलों को दंडित नहीं किया जाता है।
      • वर्ष 1985 के अधिनियम के अनुसार, किसी राजनीतिक दल के एक-तिहाई निर्वाचित सदस्यों द्वारा ‘दल-बदल’ को ‘विलय’ माना जाता था।
      • लेकिन 91वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा इसमें बदलाव कर दिया गया और अब कानून की नज़र में वैधता के लिये किसी पार्टी के कम-से-कम दो-तिहाई सदस्यों को “विलय” के पक्ष में होना अनिवार्य है।
    • कानून के तहत अयोग्य घोषित सदस्य किसी भी राजनीतिक दल से उसी सदन की एक सीट के लिये चुनाव लड़ सकता है
    • दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित मामलों पर निर्णय ऐसे सदन के सभापति अथवा अध्यक्ष को प्रेषित किया जाता है, यह प्रक्रिया ‘न्यायिक समीक्षा‘ के अधीन है।
      • हालाँकि कानून ऐसी कोई समय-सीमा नहीं निर्धारित करता है जिसके भीतर पीठासीन अधिकारी को दल-बदल मामले का फैसला करना अनिवार्य होता है।
  • दल-बदल का आधार:
    • स्वैच्छिक त्याग: यदि कोई निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ना चाहता है।
    • निर्देशों का उल्लंघन: यदि कोई निर्वाचित सदस्य अपने राजनीतिक दल अथवा ऐसा करने के लिये अधिकृत किसी भी व्यक्ति द्वारा पूर्व अनुमोदन के बिना जारी किये गए किसी आदेश के विपरीत ऐसे सदन में मतदान करता है अथवा मतदान से अनुपस्थित रहता है।
    • निर्वाचित सदस्य: यदि कोई स्वतंत्र रूप से निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है।
    • मनोनीत सदस्य: यदि कोई नामांकित सदस्य छह महीने की समाप्ति के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *