इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति, 2021 के बारे में
बिहार सरकार ने 17 मार्च, 2021 को एथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति, 2021 (Ethanol Production Promotion Policy, 2021) को मंजूरी प्रदान की।
- बिहार ‘एथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति’ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जो निवेशकों को मक्का, शीरे, टूटे चावल और सड़े हुए अनाज से सीधे एथेनॉल बनाने की अनुमति देगा।
- नई नीति बिहार में ‘जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018’ द्वारा अनुमत सभी फीड स्टॉक से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति देगी।
नीति की विशेषताएं: निवेशकों को अधिकतम 5 करोड़ रुपए तक के संयंत्र और मशीनरी की लागत का अतिरिक्त 15% पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करना।
- पूंजीगत सब्सिडी बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2016 के तहत मौजूदा प्रोत्साहन के अलावा होगी।
- नई नीति एससी, एसटी, आर्थिक रूप से पिछड़ों, महिलाओं, दिव्यागों, युद्ध विधवाओं, और एसिड हमलों के पीड़ितों जैसे विशेष वर्ग के निवेशकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी भी प्रदान करती है। उन्हें संयंत्र और मशीनरी की अधिकतम 5.25 करोड़ लागत पर 15.75% की पूंजीगत सब्सिडी दी जाएगी।
- उद्योग ऐसा विषय है, जिसके विकास के लिए सरकारी संरक्षण और सहज नीतियों की जरूरत होती है। अगर नीतियां सहज हों तो उसके परिणाम तुरंत आने लगते हैं।
यह नीति इथेनॉल की निकासी की अनुमति देगी, जो पहले गन्ने की अधिशेष मात्रा के साथ-साथ गन्ने तक सीमित थी.
एक निवेशक को संयंत्र के साथ-साथ मशीनरी की लागत का 15% अतिरिक्त सरकारी अनुदान भी मिलेगा जोकि अधिकतम 05 करोड़ रुपये तक होगा. यह बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2016 के तहत मौजूदा प्रोत्साहनों के अतिरिक्त होगा.
BLENDED PETROL FUEL
इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल में इस्तेमाल किया जा सकता है। इथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होती है, लेकिन मक्का, चावल और अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। फिलहाल इथेनॉल उत्पादन में सबसे आगे UP है, जहां 150 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता है। बिहार में यह 12 करोड़ लीटर है। इथनॉल पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। इथेनॉल उत्पादन के लिए दो प्रमुख कच्चा माल गन्ना और मक्का है। बिहार देश में मक्का की कुल उपज का लगभग 30 फीसदी योगदान करता है।
मुख्य विशेषताएं
• यह नीति निवेशकों के साथ-साथ अन्य हितधारकों को भी पारिश्रमिक रिटर्न प्रदान करेगी.
• यह उन किसानों की आय को सीधे तौर पर बढ़ाएगी जो इथेनॉल निर्माण के लिए फीडस्टॉक या कच्चे माल का उत्पादन कर रहे हैं.
• सरकार द्वारा यह वित्तीय सहायता ग्रीनफील्ड स्टैंडअलोन विनिर्माण इकाइयों को प्रदान की जाएगी जोकि केंद्र सरकार के इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के तहत तेल निर्माण कंपनियों को 100% की आपूर्ति करने के साथ-साथ इथेनॉल का उत्पादन कर रही हैं.
• यह नीति रोज़गार निर्मित करने में मदद करने के साथ-साथ प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेगी. वर्तमान में, देश में पेट्रोल में बायोइथेनॉल सम्मिश्रण 6.2% है, जबकि सरकार ने वर्ष, 2030 तक 20% सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है.
इथेनॉल उत्पादन बढ़ायेगा भारत
वर्तमान में, भारत में 5.30 हजार बैरल इथेनॉल का उत्पादन होता है, जो ब्राजील या USA की तुलना में बहुत कम है.
दूसरी ओर, बिहार लगभग 12 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करता है और देश में इथेनॉल उत्पादन में 5 वें स्थान पर है. इस नवीनतम नीति के कार्यान्वयन के साथ, हमारी सरकार का लक्ष्य भारत को एक इथेनॉल हब बनाना है और हर साल 50 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पन्न करना है.
उद्योग ऐसा विषय है, जिसके विकास के लिए सरकारी संरक्षण और सहज नीतियों की जरूरत होती है। अगर नीतियां सहज हों तो उसके परिणाम तुरंत आने लगते हैं।

केंद्रीय बायो फ्यूल नीति 2018 के तहत बिहार में इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021 लांच कर दी गई है।
BLENDED PETROL FUEL
इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल में इस्तेमाल किया जा सकता है। इथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होती है, लेकिन मक्का, चावल और अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। फिलहाल इथेनॉल उत्पादन में सबसे आगे UP है, जहां 150 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता है। बिहार में यह 12 करोड़ लीटर है। इथनॉल पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। इथेनॉल उत्पादन के लिए दो प्रमुख कच्चा माल गन्ना और मक्का है। बिहार देश में मक्का की कुल उपज का लगभग 30 फीसदी योगदान करता है।